(भोजन में अन्न परिवर्तन करने से होने वाली प्रभावी जल बचत पर मेवाड़ी भाषा में एक लेख)
आजकालाँ पाणी वंचावे पे जोर है और जमानों देखता थकाँ यो वेणों जरूरी भी हे। पाणी री सब ऊँ वत्ती खपत खेती में (70%), दूजे नंबर उद्योगाँ में (15%), तीजे नंबर घरेलू कामकाज न पीवा में (10%) और बाकी मनोरंजन न छोटा मोटा कामाँ में (5%) व्हे। पाणी वंचावा री जतरी वाताँ अबार तक वई री हे वणी में वत्ती घरेलू खपत कम करवा पे व्हे पण असली वात जा खेती री खपत कम करवा री हे वणी पे ध्यान कम जावे जदी के यो ज्यादा असरदार काम हे। आँपी कशो अनाज खावाँ यो ध्यान दाँ तो अणी रो पाणी री बचत पे घणों फरक पड़े।
मक्की ज्यादातर चौमासा (यानि वरखा रे दनां) में व्हे और हियाला में गऊँ, जव, चणाँ जशी फसलाँ व्हे। चौमासा री फसलाँ में पाणी न्ही रे बराबर पावणों पड़े और हियाला री फसलाँ में गऊँ ने पाँच पाण, जव ने तीन पाण और चणा में दो पाण पाणी छावे। एक पाण कम ऊँ कम 7.5 सेंटीमीटर गहराई री व्याँ करे। एक हेक्टर में 100 गुणा 100 यानि 10,000 वर्गमीटर व्हे और 7.5 सेंटीमीटर गहराई देखता थका कुल 750 घन मीटर यानि 7,50,000 लिटर पाणी एक पाण में छावे तो पाँच पाण में 37,50,000 लीटर पाणी काम आवे। एक हेक्टर में औसत 37.5 क्विंटल गऊँ पाके तो एक क्विंटल में 1,00,000 लिटर पाणी लागे यानि एक किलो पे लगभग 1000 लिटर पाणी खपे। अणी हरीकीज गणित ऊँ एक किलो जव पे 700 लिटर और चणा पे 600 लिटर औसत पाणी खपे। यानि गऊँ रे बदले जव खावा पे 300 लिटर और चणा खावा पे 400 लिटर पाणी प्रति किलो वंचे। मक्की वरखा रा पाणी ऊँइज पाके, व्यवस्था वे तो कदीक एक पाण पाणी दियो जाव़े जणी देखताँ एक किलो मक्की पे 300 लिटर पाणी री खपत व्हे और 700 लिटर पाणी वंचे।
पाँच जणा रा एक परिवार में बारा महिनाँ में अंदाजन 200 किलो अनाज उपड़े। तो एक जणां पे 40 किलो व्यो और उदयपुर उदयपुर रा पाँच लाख लोगां पे 2 करोड़ किलो व्यो। अगर ई सब खालिस गऊँ न्ही खाई न 75 प्रतिशत गऊँ, 20 प्रतिशत जव और 5 प्रतिशत चणा रो मिश्रित अनाज खावे तो गऊँ रे बजाय 40 लाख किलो जव और 10 लाख किलो चणा री खपत वेगा और ऊपर लिख्या आधार पे जव खावा ऊँ 120 करोड़ लिटर और चणा खावा ऊँ 40 करोड़ लिटर यानि कुल 160 करोड़ लिटर पाणी बारा महिना में वंची सकेगा। मक्की खावा पे यो गणित और गेरो हे। बारा महिनां में तीन महिनां मक्की खाई लां तो 50 लाख किलो गऊँ री खपत घटे और 350 करोड़ लिटर पाणी वंची सके। तो आज ऊँइज गऊँ रे बदले मक्की, जवार, बाजरो न चणा रो उपयोग वदाई ने पाणी वंचावा रो जोग आपाँने शुरू करणों छावे जणी ऊँ पाणी तो वंचेगा इज, डायबिटीज हरीका रोग भी न्हीं वेगा।
-ज्ञान प्रकाश सोनी