नव विकसित वाइ-फ़ाइ तकनीक, जिससे बिना किन्हीं तारों के कम्प्यूटरों, सैल-फ़ोनों आदि को इंटरनेट से जोड़ा जा सकता है और दूरस्थ प्रिंटर से प्रिंट लिये जा सकते हैं, का लोक प्रिय होना और दिनों दिन उपयोग बढ़ना स्वाभाविक ही है। लेकिन चौंकाने वाला तथ्य यह है कि इस तकनीक में काम लिये जाने वाले रूटर से उत्पन्न रेडिएशन अपने स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालता है। यह निष्कर्ष 34 वैज्ञानिक अध्ययनों से सामने आया है जिसकी सूचि इंग्लैंड स्थित "स्टोप स्मार्ट मीटर्स" (Stop Smart Meters) नामक वैब साइट पर प्रकाशित हुई है। इन अध्ययनों में यह पाया गया है कि सरदर्द, शुक्राणुसंख्या घटाव, तनाव आदि का एक कारण वाइ-फ़ाइ तकनीक का रेडिएशन है।
इस कड़ी में नवीनतम शोध डेनमार्क में नवीं कक्षा में पढ़ रहीं पाँच लड़कियों ने की है जो यदि सैल फ़ोन के पास सोतीं तो अपनी पढ़ाई में एकाग्रता नहीं रख पा रहीं थीं। तो इन्होंने वाइ-फाइ रेडिएशन पर अध्ययन किया। इन्होंने समान मात्रा और प्रकार (छः ट्रे में लेपिडियम सटाइवम – चन्द्रशूर नामक औषधीय पौधे) के बीज रेडिएशन रहित कमरे में और दो वायरलैस रूटरों से होने वाले रेडिएशन वाले में उगाए। इन्होंने 12 दिनों बाद यह पाया कि रेडिएशन वाले कमरे में बीज या तो उगे ही नहीं या जीवित नहीं रहे जबकि रेडिएशन रहित कमरे के पौधे पूर्णतः स्वस्थ रूप से बढ़ रहे थे। इन विद्यार्थियों के अध्यापक इस शोध से बहुत प्रभावित हुए और इनको आँचलिक विज्ञान प्रतियोगिता में सर्वाधिक अंक मिले।
आशा है कि पाठक इन तथ्यों को ध्यान में रख कर वाइ-फ़ाई तकनीक का न्यूनतम उपयोग करने का ध्येय रखेंगे और स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़ने देंगे।
-ज्ञान प्रकाश सोनी
अधिक जानकारी के लिये देखें –
//www.naturalnews.com/043238_Wi-Fi_routers_radiation_plant_growth.html#ixzz2nkaj52to
मुख्य स्त्रोत –
//www.globalresearch.ca
//www.safespaceprotection.com
//www.naturalnews.com
//science.naturalnews.com