मँहगाई की मार से दम तोड़ता न्यायालय की अवमानना का कानून

icon courtभारत में मँहगाई लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन अधिकतर कानूनों में जिन ज़ुर्मानों का प्रावधान है वे जिस साल बने थे तब से वहाँ के वहाँ ही हैं और इस कारण कई कानून लगभग प्रभावहीन होते जा रहे हैं – उदाहरण के लिये न्यायालय की अवमानना के कानून को लें तो इसमें न्यायालय के आदेशों की अवमानना सिद्ध होने पर 2000 रूपयों तक के ज़ुर्माने या छः माह तक की जेल या दोनों के दंड का प्रावधान है और अदालत ठीक समझे तो केवल क्षमायाचना पर संबंधित आरोपी को दोषमुक्त भी कर सकती है। जेल की सज़ा के लिये तो पुख़्ता सबूत और गंभीर अवमानना निर्विवाद रूप से साबित होना आवश्यक है जो अपवाद स्वरूप ही होता है बाकी मामलों में ज़ुर्माना ही लगाया जा सकता है जो आज की परिस्थितियों में इतना कम है कि लोगों का अवमानना कानून से डर ही खत्म हो गया है और आये दिन हम “स्टे के बावज़ूद निर्माण”, “न्यायिक आदेशों की धज्जियाँ उड़ी” जैसे शीर्षकों की ख़बरें पढ़ते रहते हैं। इसलिये यह आवश्यक हो गया है कि न केवल अवमानना कानून, बल्कि सभी कानून, जिनमें ज़ुर्माने का प्रावधान है उनका पुनरावलोकन कर आज की परिस्थितियों के अनुसार संशोधन किया जावे। पूरा लेख आगे पढ़िये।

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सत्यमेव जयते की वैब साइट का हिंदी प्रभाग – क्या यही भविष्य की हिंदी है ?

imageपिछले कुछ दिनों से श्री आमिर खान के टेलिविजन धारावाहिक – "सत्यमेव जयते" के विभिन्न सोपानों (episodes) का प्रसारण हुआ जिसकी सारे देश में प्रशंसा हुई क्योंकि जो मुद्दे उठाए गए वे सभी बहुत प्रासंगिक हैं और कड़ी मेहनत के बाद ठोस आधारों के साथ प्रस्तुत किये गए हैं। इसी से संबंधित एक वैब साइट www.satyamevjayate.in भी सृजित की गई है और ख़ुशी की बात है कि इसमें हिंदी प्रभाग भी है जो निर्धारित स्थान पर क्लिक करने पर खुलता है। लेकिन खेद की बात यह है कि इस हिंदी प्रभाग में कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण शब्दों का हिंदीकरण संभवतः यांत्रिक विधि (by mechanical means like transliteration) से कर दिया गया है उदाहरण के लिये –

India Says को ईन्दिया सेस, most read को मोस्त रेद्, click to give को क्लिक टू गिव और donation को डोनेशन लिखा गया है। यह प्रथा हमें कहाँ ले जायगी, संक्षिप्त टिप्पणी आगे पढ़िये।

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सीएफ़एल (CFL) बल्ब और ट्यूब – सोच कर लगाएँ और खतरों से रहें सावधान

-ज्ञान प्रकाश सोनी
CFL type 2बिजली की कमी और इसकी बढ़ती लागत को ध्यान में रखते हुए बिजली की बचत के लिये  सीएफ़एल बल्ब और ट्यूब लगाना समय की आवश्यकता है इसलिये इन्हें लगाएं ज़रूर पर इसके साथ ही इसके ख़तरों से जागरूक रहते हुए अपने स्वयं के और अपने परिजनों के स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना न भूलें। बिजली बचत करने वाले इन सीएफ़एल बल्बों के परिचय, उपयोगिता, संभावित कुप्रभावों व दुर्घटनाओं से संबंधित विश्वस्नीय जानकारी और इंगलैंड के पर्यावरण, आहार और ग्रामीण विभाग ने इनको काम में लेते समय वांछित सावधानियों का जो चेतावनी पत्र जारी किया है, उन पर आधारित पूरा लेख आगे पढ़िये।
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MAKING EVERY DROP OF WATER COUNT – HOW CAN WE CONTRIBUTE?

We know Drop by Drop Water Pot Gets Full Therefore Every Drop is Precious – Save it.

D. D. Derashri*

image water dropThe current practices with regard to conservation management and use have resulted in diminishing the sustainable status of fresh water resource. Over exploitation of fresh water resources, increasing pollution and indiscriminate use had rapidly reduced the quality and quantity of available fresh water per capita. An alarming situation had reached with its ever increasing demand, therefore new ideals and effective ways for judicious management and increasing availability of water resource are among the desperate need of the time. A complete paradigm shift is required to solve the critical water crisis. To have a proper balance, not only water availability needs to be augmented, consumption needs will have to be reduced. How can we contribute to achieve this aim, please continue to read.

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एनिकटों के निर्माण के प्रति सजगता की आवश्यकता

– डी. डी. देराश्री

Small Dam Anicutराजस्थान राज्य में सिंचाई विभाग, वन विभाग, भू-संरक्षण विभाग, ज़िला परिषदों, पंचायतों आदि द्वारा सतही जल के संरक्षण (वॉटर हारवेस्टिंग) हेतु एनिकट बनाये जाते हैं। देखने में यह आया है कि इनके अनियोजित निर्माण से कई बार दीर्घकाल में लाभ कम और हानि ज्यादा हुई है। कई बार तो न्यायपालिका ने ऐसे एनिकटों को तोड़ने के आदेश भी दिये हैं। यह देखते हुए एनिकट निर्माण पर अंकुश लगाते हुए इनकी स्वीकृति के लिये एक सुविचारित नीति लागू किया जाना आवश्यक है। इससे संबंधित पूरा लेख आगे पढ़िये।

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देवस्थान विभाग, राजस्थान की दरियादिली की कीमत

राजस्थान में आज़ादी से पहले कई राजाओं ने मंदिरों के दिन प्रतिदिन के खर्च की स्वचालित व्यवस्था के लिये काफ़ी आबादी या कृषी योग्य भूमि के खातेदारी अधिकार संबंधित मंदिर के नाम किये थे और मंदिर की मूर्ति को नाबालिग घोषित किया था जिससे इसे बेचने या स्थानांतरित करने का अधिकार किसी को नहीं रहता था। विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचारों के अनुसार राज्य में नाबालिग भगवान के नाम दर्ज ऐसी 18 लाख बीघा जमीनें लोगों द्वारा हड़पी जा चुकी है। अगर ऐसी भूमि की औसत दर केवल 10 लाख रूपये बीघा की मानें तो राज्य में ऐसी खुर्द बुर्द की गई 18 लाख बीघा जमीन की कीमत 1,80,000 करोड़ रूपये होती है जो एक तरह से ऐसे मेदिरों को आज़ादी के बाद संभालने के लिये जिम्मेदार देवस्थान विभाग, राजस्थान, की दरियादिली की कीमत है। पूरा लेख आगे पढ़िये।

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Lemon (Citrus ) – a miraculous product

– D.D. Derashri

imageUse of lemon is very common in India and Indians know its beneficial effects. Now, research at Institute of Health Sciences, Baltimore, Maryland, U.S.A. has shown that this plant is not only useful for treating infections, high blood pressure, depression, etc. but it is a proven remedy against cancers of all types.

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विश्व जल दिवस, 2012 – आपकी भोजन थाली में कितना पानी ?

symbol water dayआज विश्व में हम 7 अरब लोग हैं जिसमें से लगभग 1 अरब लोग अपनी भूख को प्रयास करने पर भी शांत नहीं कर पाते हैं। सन् 2050 तक विश्व में 2 अरब लोगों की और वृद्धि होने का अनुमान है तब अपनी उदरपूर्ति न कर पाने वाले लोगों की संख्या कितनी होगी यह अनुमान लगाना भयावह है। हम में से प्रत्येक को रोज़ मात्र 2 से 4 लिटर पानी पीने के लिये और 100 से 150 लिटर पानी नहाने धोने जैसे कामों के लिये चाहिये परंतु जो आहार हम रोज़ लेते हैं, उसे तैयार करने में काम आने वाली सामग्री जैसे अनाज, मांस, सब्ज़ी, फल, आदि के प्रतिशत व किस्म के आधार पर 2000 से 5000 लिटर पानी की खपत हो जाती है। आहार परिवर्तन से हम काफ़ी पानी बचा सकते हैं यह सोच इस वर्ष (2012) के जल दिवस के लिये संयुक्त राष्ट्र का "यू एन वॉटर" घटक द्वारा घोषित विशेष विषयवस्तु (थीम) "जल एवं आहार सुनिश्चितता" (Water and Food Security) की है।

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वरखा पाणी – रूँखड़ा रे साणी

(वर्षा और पेड़ पौधो के संबंध पर मेवाड़ी भाषा में एक लेख)

raindropsशैर तो शैर, गामाँ गामाँ में पाणी री मारा मारी चाल री है जा वरस दर वरस वद्तीज जाइरी है। जठे छा तक नीं वेचवा रो कायदो हो, वठे आज खुल्ले आम पाणी वेचाई रियो है। चौमासो तो दुमासो वइग्यो ने वरखा रा दन अने घंटा गण्या थका रइग्या। एकीज गाम रा एक फळा में वरखा वरस री व्हे तो दूजो फळो हूको मले। अणा सब हालताँ रो कारण आपाँणों लालच अने बेपरवाई है।

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बदलो अन्न- वंचावो पाणी

(भोजन में अन्न परिवर्तन करने से होने वाली प्रभावी जल बचत पर मेवाड़ी भाषा में एक लेख)     

whole maizewhole wheatwhole barleyआजकालाँ पाणी वंचावे पे जोर है और जमानों देखता थकाँ यो वेणों जरूरी भी हे। पाणी री सब ऊँ वत्ती खपत खेती में (70%), दूजे नंबर उद्योगाँ में (15%), तीजे नंबर घरेलू कामकाज न पीवा में (10%) और बाकी मनोरंजन न छोटा मोटा कामाँ में (5%) व्हे। पाणी वंचावा री जतरी वाताँ अबार तक वई री हे वणी में वत्ती घरेलू खपत कम करवा पे व्हे पण असली वात जा खेती री खपत कम करवा री हे वणी पे ध्यान कम जावे जदी के यो ज्यादा असरदार काम हे। आँपी कशो अनाज खावाँ यो ध्यान दाँ तो अणी रो पाणी री बचत पे घणों फरक पड़े।

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