पाणी पीवा री राजस्थानी रीत – पाणी वंचावा री मीत

(मेवाड़ी भाषा में जल बचत पर एक लेख)

आजकल हम लोग ग्लासों  को मुँह से लगा कर पानी पीते हैं जबकि पहले  ग्लास को बिना झूठा किये पानी पीने का रिवाज़ रहा है। मेवाड़ी भाषा के इस लेख में यह  अनुमान निकाला गया है कि यदि पाँच लाख की आबादी के किसी शहर के आधे लोग ग्लास को झूठा किये बिना ऊँचे से पानी पीने का संकल्प करें तो प्रतिवर्ष अनुमानत:11 करोड़ लिटर पानी की  बरबादी रुक सकती है। यदि सभी लोग ऐसा करने लगें तो कितना पानी बच सकता है यह विचारणीय है। पूरा लेख नीचे प्रस्तुत है।

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Lake “Fateh Sagar” of Udaipur, Rajasthan (India) needs to be actually called as “Fatah Saagar”

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One of the famous lakes of Udaipur, normally pronounced and written as “Fateh Sagar,” needs to be pronounced and written as “Fatah Saagar” on the basis of history of its naming and correct pronunciation of Hindi and Urdu words. This article describes the reasons for this change on the basis of contents of the famous book, describing history of Mewar, named “Veer Vinod,” first published in 1886 and an unpublished document named “Mewar Gazetteer.”

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पाणी री फ़सल किस्तर व्हे ?

जल संरक्षण लोगो(वॉटर हारवेस्टिंग पर मेवाड़ी भाषा में एक विचारोत्तेजक लेख)

आजकालाँ पाणी हंजोवा वाते रोज नवी वाताँ भणवा में आवे। अणाँ में एक वात, वाटर हारवेस्टिंग रे नाम पे घणी जोर दई ने वताई जाइरी है जणी में घराँ री छताँ रो पाणी पाइपाँ ऊँ ट्यूब वैल या दूजा साधन ऊँ सीधो जमी में उतार्यो जावे जो जमींदोज पाणी बढ़ावे। “वाटर” रो मतलब तो पाणी अने “हारवेस्टिंग” रो मतलब फसल लेणों व्हे। अबै यो हमज में न्हीं आवे के पाणी री फसल किस्तर लई सकाँ ? खेत में आँपी एक दाणों वावाँ तो हौ दाणाँ नीपजे पण पाणी सीधो धरती में पौंचावाँ तो वो व्हे जणी ऊॅँ वत्तो किस्तर वई सके ? अने व्हे जतरोइज रे, तो यो पाणी पाइपाँ अनै ट्यूब वैलाँ ऊँ हूद्दो जमी में उतरे के पैली ज्यूं वैवतो वैवतो जमीं में उतरे, अणी में फरक कई पड़ै ?

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विकास कार्य और गांधीवाद

excavator_CAT325cविकास कार्यों के निष्पादन मे विगत कुछ वर्षों से मानव श्रम के स्थान पर मशीनों से खुदाई करने, मसाला व गिट्टी मिलाने की परिपाटी बढ़ रही है और परम्परागत रूप से अपनायी जाने वाली निर्माण विधियाँ, जैसे चूना मसाले में चुनाई व पलस्तर करना, पत्थर की पट्टियों की छत और छज्जे बनाना, घड़े हए खंडेदार पत्थरों से चुनाई करना जिसमें मसाला कम लगे, आदि चलन से हटती जा रही हैं। इन परिवर्तनों के कारण सीमेंट, स्टील, डिज़ल, आदि की खपत तो बढ़ती जा रही है लेकिन कार्यों की कुल लागत में श्रम भाग का प्रतिशत घटता जा रहा है। भारत जैसे देश में जहाँ श्रम शक्ति की बहुतायत है और सरकार को करोड़ों रूपये प्रतिवर्ष "मनरेगा" जैसी रोज़गारोन्मुखी योजनाओं पर खर्च करने पड़ रहे हैं, निर्माण कार्यों में बढ़ता मशीनीकरण और सीमेंटस्टीलीकरण गांधीवाद की श्रम और स्वदेशी की महत्ता की अवधारणा के विपरीत है। इस परिपाटी के चलते स्थानीय रूप से व्यय किया गया रूपया अधिक से अधिक मात्रा में गैर स्थानीय बनता जा रहा है और ग्रामीण श्रमिकों के स्थान पर कोई और ही फलफूल रहे हैं अत; इसकी समीक्षा किया जाना आवश्यक है। विस्तृत लेख आगे प्रस्तुत है।

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उदयपुर के सीवेज ट्रीटमेंट तंत्र में हिंदुस्तान ज़िंक का सहयोग – कुछ प्रश्न

Ud STP news - 1विगत कुछ माहों से छप रहे समाचारों के अनुसार उदयपुर शहर के मलितजल (सीवेज) को उपचारित करने के लिये एक मलितजल उपचारण सयंत्र (Sewage Treatment Plant – STP) शहर के दक्षिण-पूर्व में स्थित मनवाखेड़ा के पास स्थापित करने के लिये एक करार, नगर परिषद्, नगर विकास प्रन्यास व हिंदुस्तान ज़िक लिमिटेड के बीच करने की सहमति राज्य सरकार ने दी है। इसके अनुसार हिंदुस्तान ज़िक लिमिटेड आंशिक आर्थिक सहयोग करते हुए प्लांट का निर्माण व रखरखाव करेगा और नगर से मनवाखेड़ा तक की पाइप लाइन बिछाने व पंप आदि लगाने का काम प्रन्यास या परिषद् के ज़िम्मे होगा। लेकिन अगर इन समाचारों को ध्यान से पढ़ें और मनन करें तो पता लगता है कि हिंदुस्तान ज़िंक कंपनी यह करार एक बड़े दीर्घकालीन निजी हित की पूर्ती के लिये बहुत व्यापारिक आधार पर लागत लाभ का पूरा पूरा ध्यान रखते हुए कर रही है जिसे समाजसेवा का नाम एक सोची समझी नीति के अनुसार दिया जा रहा है। Continue reading

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जल मापन में फुट, इंच आदि का उपयोग गैर कानूनी व सज़ा योग्य

clip_image002हमारे देश में मेट्रिक प्रणाली लागू है जिसके अनुसार लंबाई या ऊँचाई मीटर, सैंटीमीटर, मिलिमीटर आदि में ही दर्शाना अनिवार्य है और इसके लिये फुट या इंच आदि का उपयोग गैर कानूनी है व ऐसा पाए जाने पर सज़ा का प्रावधान है। लेकिन राजस्थान सरकार के अधिकांश विभाग और यहाँ के समाचार पत्र जाने क्यों बाँधों के जल स्तर, वर्षा आदि के आँकड़े फुटों या इंचों में दर्शा कर बाट और माप कानून 1976 का खुला उल्लंघन कर रहे हैं।

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धूप से दोस्ती – अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी

sunrise in a townकिसी भी समाज की उन्नति के लिये नागरिकों का स्वास्थ्य अच्छा होना पहली आवश्यकता है। हमारे यहाँ यह कहावत रही है कि – एक तंदुरस्ती, हज़ार नियामत। लेकिन इन दिनों देखा यह जा रहा है कि ब्लड प्रेशर, डिप्रेशन, अनिद्रा, डायबिटीज़, मोटापा, माइग्रेन, अस्थमा, हृदयरोग, आदि से ग्रस्त लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है और कम उम्र में भी ऐसे रोग होने लगे हैं। सिजेरियन डिलीवरी होना भी एक सामान्य स्थिति बनती जा रही है। ये रोग अभी भी ग्रामीण खेतिहर लागों में कम हैं लेकिन शहरी क्षेत्रों में, विशेषकर जहाँ आबादी घनी है वहाँ, ज्यादा हैं। विश्व भर में इस स्थिति पर शोध हो रही है और वैज्ञानिकों व डॉक्टरों ने यह पाया है कि ऐसी बीमारियों के बढ़ने का मुख्य कारण हमारी बदलती जीवन शैली है जो हमें सूर्य कि किरणों से दूर रखती है। हमारे शरीर की चमड़ी पर धूप की किरणें पड़ने से प्राकृतिक रूप से विटामिन डी बनता है जो हमें रोगों से बचाता है।

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उदयपुर की आयड़ नदी – सुरम्य कैसे हो ?

AYAD RIVER - FROM OLD BRIDGE NEAR ANAND PLAZAउदयपुर नगर अपनी झीलों, बगीचों, पुरानिर्माणों, समशीतोष्ण मौसम, गौरवमयी इतिहास, आत्मसम्मान के लिये संघर्षरत रहने की परम्परा आदि के लिये विख्यात है। पर्यटकों की इस नगरी का आकर्षण और बढ़ाने के लिये लगातार प्रयास हो रहे हैं और आयड़ नदी को सुरम्य बनाने की माँग भी इसी परम्परा की एक कड़ी है। यह कार्य न तो कठिन है, न ही बहुत ख़र्चीला और न ही इसके लिये भारी फीस वाले बाहरी कन्सलटैंटों की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डी. पी. आर.) चाहिये, बस वस्तुस्थिति का वास्तविक आँकलन करना होगा और स्थानीय विशेषज्ञों के लंबे अनुभवों का लाभ लेते हुए पक्के इरादे, पारदर्शिता और नेकनीयत से टीम भावना से काम करना होगा।

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उदयपुर के एक अभियंता द्वारा विकसित अनूठी वैब साइट – शब्दकोश डॉट कॉम

इंटरनेट पर तुरंत देखें – अंग्रेज़ी शब्दों के हिंदी पर्याय

Maneesh SKdotcom photo.jepgकम्प्यूटरों बढ़ते उपयोग व इंटरनेट पर उपलब्ध अथाह जानकारी के इस युग में अंग्रेजी में उपलब्ध जानकारी को समझने और अनुवाद करने के लिये अंग्रेजी शब्दों के हिंदी पर्याय तुरंत इंटरनेट पर उपलब्ध हों यह समय की आवश्यकता है। इस आवश्यकता को महसूस किया उदयपुर में जन्मे मनीष सोनी ने और अपने अकेले दम खम पर shabdkosh.com नामक एक ऐसी वैब साइट तैयार की जिस पर आप तत्काल किसी अंग्रेज़ी शब्द का हिन्दी पर्याय और हिंदी शब्द का अंग्रेज़ी पर्याय ढूँढ सकते हैं।

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अवैध निर्माणों का मूल कारण – उत्तरदायित्व निर्धारण का अभाव

News clip illegal constructionस्वाधीनता के बाद की उल्लेखनीय कुपरिपाटियों में अतिक्रमण और अवैध निर्माण एक मुख्य कुपरिपाटी है और यह प्रवृति बढ़ती ही जा रही है जिसके चपेटे में केवल बिलानाम सरकारी भूमि ही नहीं, आरक्षित वन भूमि, देवस्थान भूमि और चरागाहों के साथ साथ तालाबों के पेटे व नदी नालों के बहाव क्षेत्र भी आ रहे हैं। यह स्थिति पर्यावरण तंत्र व पशुधन सुरक्षा के खिलाफ़ तो है ही, जन सुरक्षा के लिये भी भारी ख़तरा है। वन क्षेत्रों में कमी से वर्षा की मात्रा पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और चरागाह घटने से पशुधन को बचाए रखना कठिन हो जाता है। इसी प्रकार नदी नालों का बहाव क्षेत्र घटने से बाढ़ की संभावनाएं अकारण बढ़ती हैं जिससे जान माल की भारी हानि होना निश्चित है।

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